बुधवार, 26 जनवरी 2011

भारतीयता


भारतीयता में भारतमाता की लाड़ली संतान होने के भाव भरे है। इसमे भारत की मिट्टी की सोंधी सुगन्ध से अपनत्व का एहसास हैं। यही वह भावना हैं, जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक हम सभी भारतवासी भाई-बहनों को स्नेह-संबंधों के धागों में पिरोती हे। यह शब्द जब हृदय में अंतर्दीप की तरह प्रज्वलित-प्रकाशित होता हैं तो पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आसाम, बंगाल, बिहार, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के शूरवीर साहसी सैनिक सीमाओं के प्रहरी बनकर दुश्मनों का दिल दहलाते हैं।
भारतभूमि के कण-कण में भारतीयता की ऊष्मा एवं ऊर्जा हैं, जो केरल के मेजर उन्नीकृष्णन को मुंबई हमले में आतंकवादियों को परास्त करते हुए शहीद होने के लिए प्रेरित करती है। यही पंजाब के गगनदीप सिंह वेदी को दक्षिण भारत में आए सुनामी के खौफनाक लहरों में कडलूरवासियों का खेवैया बनने का साहस देती हैं। कुछ कुटिल कुबुद्धि वाले कुचक्री लोग प्रांतीयता, क्षेत्रीयता, जातीयता, सांप्रदायिकता की बातें करके भारतीयता की भावनाओं में दरार डालना चाहते हैं।
लेकिन इस प्रयास में उनकी पराजय सुनिश्चित हैं। क्योंकि हम सबकी पहली और अंतिम पहचान भारतीयता हैं। फिर भले ही हममें से कोई किसी भी प्रान्त, क्षेत्र अथवा जाति का क्यों न हो, उसकी कोई भी भाषा और कोई भी धर्म क्यों न हो, परंतु ये सब कभी हमारे भरतवंशी, भारतवासी और भारतीय होने में रूकावट नहीं बन सकते। भारत देश के किसी भी कोने के किसी भी व्यक्ति की श्रेष्ठता हमारी श्रेष्ठता है। उस पर हमें गर्वित होने का पूरा हक हैं और इसी तरह भारतभूमि के किसी छोर के किसी भी इनसान की कमजोरी व कमी हमारी अपनी कमजोरी व कमी हैं। इसे हटाने-मिटाने के लिए हर तरह से प्रयत्नशील होना हमारा निजी कर्तव्य हैं। स्वाधीन भारत के निवासियों की एक ही पहचान हे। -भारतीयता और इस वर्ष के गणतन्त्र दिवस पर हममें से हर एक का एक ही संकल्प हैं- अपनी भारतभूमि एवं भारतीयता के लिए सर्वस्व निछावर करने के लिए सर्वदा तैयार रहना। 

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