रविवार, 16 जनवरी 2011

संयम की महान् सोच

गांधीजी अपनी पत्नी कस्तुरबा के साथ श्रीलंका के एक कार्यक्रम में भाग लेने पहुँचे। मंच संचालक ने कहा- आज श्रीलंका का सौभाग्य हैं कि गांधीजी के साथ उनकी मातुश्री कस्तुरबा भी आए हैं। लोगों में कानाफूसी होने लगी। लोगो ने उससे कहा- यह उनकी माँ नहीं, पत्नी हैं। यह सुनते ही मंच संचालक सहम गया। उसने कहा- उससे बहुत बड़ी भूल हो गई हैं कि उसने पत्नी को माँ कह दिया इसलिए मैं सबसे माफी मांगता हूँ। यह सुनकर गांधीजी बोले- इन्होनें गलती नहीं की वरन् मुझे सचेत किया हैं। मैं अब साठ साल का हो गया हूँ अतः पत्नी के रिश्ते से ऊपर उठ जाना चाहिए, इसलिए आज के बाद कस्तुरबा मेरी पत्नी की तरह नहीं, माँ की तरह आदरणीय रहेगी। यह हैं संयम की महान् सोच।

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