मंगलवार, 11 जनवरी 2011

नजरिये को बनाइए पाजिटिव

1- इंसान का नजरिया उसके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। कोई देवता मुझे जादू की छड़ी दे और कहे कि तुम इससे क्या करोगे ? तो मेरा जवाब होगा, लोगों का नजरिया अच्छा बनाऊँगा।
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2- सकारात्मक नजरिये के लोग विजयी टीम का हिस्सा होते हैं, और घटिया नजरिये के लोग टीम के हिस्से कर डालते हैं अच्छे नजरिये के लोग उसूलों पर अडिग रहते हैं बाकी छोटी-मोटी बातों पर समझौता कर लेते हैं। जबकि नकारात्मक नजरिये के लोग छोटी-मोटी बातों पर अडिग रहते हैं, उसूलों पर समझौता कर बैठते हैं

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3- सकारात्मक नजरिये के लाभ हैं- 1. कार्य-क्षमता में वृद्धि, 2. मिल-जुलकर काम करने की उत्सुकता, 3. रिश्तों में बेहतरता, 4. तनाव से बचाव और 5. प्रभावी व्यक्तित्व तथा भाषा का विकास। वहीं नकारात्मक नजरिये के नुकसान हैं- 1. कड़वाहट, 2. नाराजगी, 3. लक्ष्यहीन जिंदगी, 4. सेहत खराब और 5. अपने तथा दूसरों के लिए तनाव।

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4- हमारी पीढ़ी की सबसे बड़ी खोज यही हैं कि हम नजरिये को बेहतर बना सकते हैं। सकारात्मक नजरिये का व्यक्ति हमेशा समाधान का हिस्सा होता हैं, वहीं नकारात्मक नजरिये का व्यक्ति समस्या का हिस्सा होता हैं।

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5- जीवन में स्मार्टनेस का मूल्य हैं, पर हर सफलता के पीछे स्मार्टनेस का मूल्य 30 प्रतिशत होता हैं, जबकि नजरिये का मूल्य 70 प्रतिशत

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6- अपने नजरिये को सकारात्मक और उत्साहपूर्ण बनाए। नकारात्मक और उदासीन नजरिया घाटे का सौदा हैं दुकानदार को ग्राहक क्यों छोड़ जाते हैं- 1 प्रतिशत मृत्यु के कारण, 8 प्रतिशत दोस्ती के कारण, 9 प्रतिशत प्रतिस्पर्धा के कारण, 14 प्रतिशत चीज या काम से असंतुष्टि के कारण, पर 68 प्रतिशत उदासीन नजरिये के कारण। नजरिया अच्छा बनाइये, सफलता सौ गुनी होगी।

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7- वातावरण हमारे नजरिये को प्रभावित करता हैं। वातावरण अच्छा हो तो मामूली कर्मचारी भी अच्छा काम करता हैं, माहौल घटिया हो तो अच्छा काम करने वाले की भी कार्य-क्षमता घट जाती हैं। 

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8- शिक्षा हमारे नजरिये के विकास में मदद करती है। हम ऐसी शिक्षा लें जिससे कोरी किताबें न पढ़नी पड़े, बल्कि सही संस्कार भी अर्जित होए फार एटम और बी फार बम की बजाय ए फार एक्टिव और बी फार ब्रेव की शिक्षा ग्रहण करे।

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9- हम बचपन में ही अच्छा नजरिया बनाने पर जोर दें। बचपन नींव की तरह हैं। बचपन से ही जिसकी सोच, वाणी व व्यवहार श्रेष्ठ होते हैं, वे जीवनभर श्रेष्ठतर परिणाम दिया करते है

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10- अगर सपने में भी कोई अपराध हो जाए तो उसका प्रायश्चित करें, क्योंकि जो बात सपने में आई हैं, कल वह हमारे चरित्र का हिस्सा भी बन सकती हैं। 

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11- हम अपनी सोच बदलें और हमेशा अच्छाई देखें। जो गलतियाँ ढूँढ़ने के आदी हैं वे स्वर्ग में भी चले जाएँ तब भी गलतियाँ ढूँढने से नहीं चूकते

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12- हमेशा आधा गिलास भरा हुआ देखें। किसी के द्वारा किये गए अपमान को याद रखने की बजाय यह देखें कि यह अब तक मेरे कितना काम आया है। अहसानों और उपकारों को याद कर कृतज्ञ बनें, कृत्घ्न नही।

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साभार- संबोधि टाइम्स, संतप्रवर श्री चन्द्रप्रभ जी

यह संकलन हमें श्री शंकर लढ़ा, चार्टेड एकाउन्टेंट, इन्दोर से प्राप्त हुआ हैं। धन्यवाद।
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