शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

समस्या-उपवास काल में एवं लम्बे उपवास को तोड़ते समय क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए ?



समाधान 
उपवास प्रारम्भ होने पर नित्य के नियमानुसार भोजन से शरीर को शक्ति प्राप्त नहीं होती, अतएव इसके लिये अन्य उपाय कामें लाने चाहिए, यथा-शुद्ध वायु और शुद्ध जल का उपयोग। शुद्ध वायु में गहरी सांस लेने से प्राणवायु के स्पर्श से रक्त में पहले से उपस्थित विषेले तत्व दूर होते हैं। उपवास काल में कोई अप्राकृतिक खाद्य शरीर में नही जाता, अतएव विजातीय द्रव्य रक्त में नहीं मिलते तथा उसकी शुद्धि होती है। धूप-स्नान से शरीर को अनेक विटामीन मिलते हैं तथा रोगों के कीटाणु नष्ट होते हैं। उपवास काल में अधिक पानी पीना चाहिये, जिससे कि अधिक मूत्र विसर्जन के माध्यम से शरीर से अधिक गन्दगी बाहर हो। मूत्र गुर्दो में रक्त छनकर बनता हैं, अतएव रक्त में जल की अधिकता होने से अधिक गन्दगी साफ होती है। उपवास शारीरिक स्थिति एवं रोग के अनुसार 2-3 दिन से लेकर निरन्तर दो मास तक किया जा सकता हैं। एक सप्ताह से अधिक का उपवास लम्बे उपवास की श्रेणी में आता हैं। लम्बा उपवास अत्यन्त सावधानी पूर्वक विधिवत किया जाना चाहिए, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि का भय रहता हैं। लम्बे उपवास तोड़ने में काफी सावधानी बरतनी चाहिए। नींबू के पानी या सन्तरे-मौसमी आदि के रस से तोड़ना चाहिए। फिर एक दिन तक मौसम के फल लेने चाहिए। जितने दिन तक उपवास किया गया हो, उसके चौथाई समय तक फल लेने चाहिए,

तदुपरान्त अन्न खाना चाहिए। पर यह ध्यान रखना चाहिए कि उपवास के बाद पुन: गलत भोजन न ले। ऐसा करने पर उपवास का लाभ भी जाता रहेगा तथा शरीर शुद्ध हो जाने पर यदि विजातीय द्रव्य शरीर में जाएगा तो पूरी मात्रा में वह शरीर के लिए हानिकारक होगा। 

-स्वास्थ्य रक्षा प्रकृति के अनुसरण से ही सम्भव, पृष्ठ-47, 48)

बच्चों के लिये क्या-क्या करें।

1. दादा-दादी और नाना-नानी एक ऐसे सघन वृक्ष की तरह होते हैं जिसकी छांव तले बच्चे आनिन्दत, संस्कारशील और आशावादी होते हैं।
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2. दादा अनुभवों का खजाना हैं जिनके साथ रोज रजाई में बैठकर रोज नई-नई कहानियां सुनने को मिलती हैं। दादी बच्चों को सबसे ज्यादा लाड-प्यार करती हैं। नानी बच्चों की सबसे प्रिय मित्र होती हैं जो कि उसकी हर बात सुनती हैं। जबकि नाना वे हैं जो कहा करते हैं, आजकल दुबला होता जा रहा हैं। चल, जूस पी ले।

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3. बच्चे तो प्यार, हँसी, समय, कहानी और खेल के भूखे होते हैं और बुजुर्गो के पास इन चीजों का भण्डार हैं। वे बच्चे किस्मत वाले हैं जिन्हें दादा-दादी और नाना-नानी से यह खजाना मिलता हैं। 

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4. बच्चों का घर बच्चों के लिये सबसे प्रिय मंदिर होता हैं। घर का स्वरूप ऐसा बनाएं जिससे उन्हें प्रकृति, परमात्मा और अच्छे संस्कारों की सहज प्रेरणा मिल सके।

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5. घर की दीवारों पर हमेशा प्रेरक और प्रभावी चित्र टांगिए, क्योंकि बच्चे नकलची बन्दरों की तरह होते हैं। अगर वे घर में विवेकानन्द का चित्र देखेंगे तो वैसा बनने की कोशिश करेंगे, वहीं यदि चार्ली चेपलिन का चित्र देखेंगे तो वैसी नकल करना शुरू कर देंगे। 

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6. बच्चों को खेलने का अवसर दीजिए। जो खतरों से नहीं खेलेगा, वह जीवन में आगे कैसे बढ़ेगा ?

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7. बच्चों पर समय का निवेश भी कीजिए। आप उन्हें 20 साल तक संस्कार दीजिए, वे आपको 80 साल तक सुख देंगे. 

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8. बच्चों को धर्म का ज्ञान कराएं ताकि वे गलत राहों पर जाने से बच सकें। हर सुबह घर के बुजुर्गो व अभिभावकों के पांव छूने के लिए प्रेरित करें ताकि मेहमानों को प्रणाम करने के लिए बार-बार टोकने की जरूरत न रहे। पत्नी, बहु और घर के सेवकों से भी प्यार से बोले, `जी लगाकर पुकारे´, बच्चे अपने आप अदब की भाषा सीख जायेंगे।

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9. बच्चों को घर का बना भोजन करने के लिए उत्साहित करते रहें। खाने की चीजों के बच्चों के मनपसन्द नाम रखें जैसे- मूंग की दाल को सुपर हॉरलिक्स कह सकते हैं और मिस्सी रोटी को पॉवर पराठा। बच्चों से कहे कि सुपर हॉरलिक्स और पॉवर पराठा खाकर तुम सुपर मैन और हैरी पॉटर बन सकते हो।

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10. बच्चों को मिठाइयां, चाकलेट, चिप्स, शीतल पेय विशेष अवसरों पर दे। इनका रोजाना सेवन करने से बच्चों की भूख मर जायेगी और दांत खराब होंगे, बच्चों को फल, जूस और सलाद की ओर खींचे। उन्हें बतायें कि फल खाने से तुम `शक्तिमान´ बनोगे और दूध पीने से `हनुमान´।

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11. खाना खाते समय टी.वी. बन्द रखिये। टी.वी. चलाने के लिये शाम का एक समय निर्धारित कर लीजिये। दिनभर टी.वी. देखने से बच्चों की आंखे कमजोर होती हैं और भी कम हो पाती हैं।

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12. बच्चों के लिये चित्र कथायें जरूर खरीदते रहिये। कहानियां और चित्र दोनो ही बच्चों को पसन्द होते हैं। जो प्रेरणा एक छोटी सी कहानी से मिलती हैं, वह बड़े-बड़े उपदेशों से भी नहीं मिल पाती।

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13. बच्चों पर प्यार भरा अनुशासन रखे। उन्हें एक स्वतन्त्र मुक्त पौधे की तरह बढ़ने दे। ज्यादा टोका-टोकी करके यदि हम पौधे की टहनिया काटने की कोशिश करेंगे तो वे एक स्वस्थ पौधे की बजाय बौना पौधा बनकर रह जायेंगे।

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14. बच्चों को लाड करें, पर इतना नहीं कि वे बिगड़ेल और जिद्दी बन जायें। बच्चों को गुस्सा आ जाए, तो बुरा न माने। वे बाल-बुद्धि हैं, उन्हें बतायें कि गुस्सा करने से दिमाग कमजोर हो जाता हैं। प्यार से समझाये, वे समझ जायेंगे।

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15. बच्चों की प्रतिभा आपके जीवन में सबसे बड़ी दौलत हैं। आप अपने बैजू बावरा की प्रतिभा पहचानें और उस प्रतिभा को निखारने में उसे पूरा-पूरा सहयोग और आशीर्वाद दें। 

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