रविवार, 31 अक्तूबर 2010

प्रार्थना

महाराष्ट्र में एक बार भयंकर अकाल पड़ा। कईयों ने गाव छोड़ दिये, पशुओं को लेकर सब ईधर उधर निकल पड़े। एक छोटे से कसबे के लोगो ने मिलकर तय किया कि हम सब प्रार्थना करें - सामूहिक प्रार्थना में बड़ा बल होता है। सभी एक स्थान पर इकठ्ठे हुये। प्रार्थना आरम्भ होने वाली थी।

इतने मे एक किशोर वहा आया। उसके पास छाता था। सभी हॅसने लगे। बोले -‘‘पानी तो गिरने वाला नहीं है, न गिर रहा है, फिर तू छाता लेकर क्यों आया?’’ 

किशोर बोला - ‘‘जब आप सब मिलकर प्रार्थना करने आये है तो भला पानी क्यो नही बरसेगा ! "

मैने तो सुना है कि सच्चे हदय से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नही जाती है।

किशोर की निश्छल भावना एवं अटूट विश्वास ने सबमें प्रचन्ड बल भर दिया। 

सभी ने भावपूर्वक प्रार्थना की और पानी बरसा। 

हमें विश्वास ही नहीं तो भगवान क्योंकर हमारी बात सुनेगा।

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

'प्रदूषण भगाओ, दीप जलाओ'


दीप पर्व २०१० 
के पावन अवसर पर 
हमारी और से हार्दिक शुभकामनायें ।

एक निवेदन 
पटाखे मानव व बेजुबानों के दुश्मन होने के साथ-साथ धन की बर्बादी करते हैं । 
प्रतिवर्ष केवल जयपुर शहर में आठ से दस करोड़ रुपए के पटाखे जलाए जाते हैं
पटाखे ध्वनि, वायु प्रदूषण व हृदय रोगियों के लिए घातक है। 
एक ही दिन में अत्यधिक हानिकारण गैसों के उत्सर्जन 
से खासकर बच्चों में श्वसन संबंधी तकलीफें पैदा होती हैं 
एवं हजारों बच्चे पटाखों से झुलसने के कारण 
अस्पतालों में भर्ती करवाए जाते हैं। 

पटाखे न जलाएं, जन-धन को बचाएं ।
पटाखे मत जलाओ, पशु-पक्षियों को बचाओ ।
जो करें अपने पेट्स से प्यार वो करें पटाखों से इंकार । 
पटाखे हैं घमंडी लोगों की शान, वे हमेशा लेते किसी की जान ।
जो करते हैं अपने बच्चों से प्यार, वे पटाखों को दूर से करते नमस्कार । 

श्री कुन्दकुन्द कहान पारमार्थिक ट्रस्ट, मुंबई के सहयोग से चलाये जा रहे सर्वोदय अहिंसा अभियान के अंतर्गत पटाखा विरोधी पोस्टर का प्रकाशन हो चुका है ।

पोस्टर मांगने हेतु संपर्क करें - 
संजय शास्त्री 
डी १३६ सावित्री पथ बापू नगर 
जयपुर-१५ 
cell - 095092 32733
sarvodayahinsa@gmail.com 
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जन मानस परिष्कार मंच के सभी सदस्यगण
ईमेल vedmatram@gmail.com
http://yugnirman.blogspot.com/ 
स्वरदूत - 01483-225554, 09929827894 

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

क्या करें कामयाबी के लिए - श्री चन्द्र प्रभ जी - 5

1. कर्म तेरे अच्छे हैं, तो किस्मत तेरी दासी हैं। नीयत तेरी साफ हैं, तो घर में ‘मथुरा-काशी’ हैं। 
राधे राधे राधे राधे राधे 
2. आत्मरक्षा का पहला और आखिरी मन्त्र हैं: दूसरों को सम्मान दीजिये और झगड़े से दूर रहिये। 

राधे राधे राधे राधे राधे 
3. स्वयं की तुलना ओरों से मत कीजिये, वरना आप अपने आप को पिछड़ा हुआ महसूस करने लग जायेंगे। 

राधे राधे राधे राधे राधे 
4. यदि आप ईमानदार हैं, तो चिन्ता मत कीजिये। सोना आग में जाकर कुन्दन ही बनता है।

राधे राधे राधे राधे राधे 
5. ध्यार रखिये, सच्ची लगन ही आपकी सफलता की सीढ़ी बनेगी। 
राधे राधे राधे राधे राधे
6. दूसरों की तारीफ करके देखिये, आपको उनके सम्मान का अनूठा पुरस्कार मिलेगा। 

राधे राधे राधे राधे राधे
7. गाली बुरे आदमी को ही क्यों न दी जाये, भले आदमी का लक्षण नहीं हैं। 

राधे राधे राधे राधे राधे
8. पीड़ित से यह मत पूछिये कि तुम्हारा दर्द कैसा हैं ? उसकी पीड़ा को स्वयं में देखिये और फिर वह सब कीजिये जो आप अपनी ओर से कर सकते हैं। 

राधे राधे राधे राधे राधे
9. आलोचना सहने की आदत डालिये। इससे न केवल आपकी कमजोरिया दूर होंगी, वरन् आत्मशक्ति भी जाग्रत होगी।

राधे राधे राधे राधे राधे
10. आर्शीवाद प्राप्त करना चाहते हैं तो अपनी ओर से खुशी दीजिये।
राधे राधे राधे राधे राधे
11. नेतृत्व करना रस्सी खींचने की तरह हैं, जिसे आप पीछे रह कर नहीं, आगे आकर ही खींच सकते हैं। 
राधे राधे राधे राधे राधे
12. सौ काम छोड़कर भी पहले खा लीजिये, और हजार काम छोड़कर भी पहले नहा लीजिये। 
राधे राधे राधे राधे राधे
13. स्वयं को सदा विद्यार्थी बनाए रखिये, ताकि ज्ञान-प्राप्ति के द्वार हमेशा खुले रहे।

राधे राधे राधे राधे राधे
14. किसी की अन्त्येष्ठि में शामिल होने जाये, तो उनके परिजनो को नेत्रदान की प्रेरणा दीजिये। सम्भव है आपकी यह प्रेरणा किसी नेत्रहीन बच्चे के लिए रोशनी का चिराग बन जाये।
राधे राधे राधे राधे राधे
15. कोशिश करने पर भी जो समस्या खुद से न सुलझ पाये, उसे ईश्वर पर छोड़ दीजिये। धैर्य रखिये, कहीं से कोई-न-कोई ज्योति की किरण अवश्य मिल जायेगी।

राधे राधे राधे राधे राधे
16. अपने कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से सम्पादित कीजिए, आप सप्ताहभर के कार्यों को एक दिन में निपटा लेंगे।

राधे राधे राधे राधे राधे
17. औरों के साथ अपनी तुलना करने के बजाय आत्मविकास में विश्वास कीजिये, वरना आप अहंकार और ईष्र्या के शिकार हो जायेंगे। 

राधे राधे राधे राधे राधे
18. हर हाल में मस्त रहिये। अपने पास ऐसा सिक्का रखिए जिसके दोनों तरफ खुशी ही खुशी हो।

राधे राधे राधे राधे राधे
19. उन्हें वक्त की मार झेलनी पड़ती हैं, जो औरों के बेवक्त काम नहीं आते।

राधे राधे राधे राधे राधे
20. अपने दिल को इतना भी छोटा मत कीजिये कि कोई छोटा-सा कष्ट भी आपकी कमर झुका दे।

राधे राधे राधे राधे राधे
21. किसी को उसकी गलतिया मत बताइये, वरना वह आपकी गलतिया तलाशना शुरू कर देगा।

राधे राधे राधे राधे राधे
22. अपनी गलत आदतों को छोड़ दीजिये, वरना आप अपने पोते की नजरों में गिर जायेंगे।

राधे राधे राधे राधे राधे
23. रोगों से बचने का पहला उपाय हैं, हर सुबह आधा घण्टा टहलिये।

राधे राधे राधे राधे राधे
24. समस्या को परीक्षा समझिये। उसमें उत्तीर्ण कैसे हुआ जाये, बस, यही प्रयास कीजिये।

राधे राधे राधे राधे राधे

शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

जन्मभूमि आवलखेड़ा

पूज्यवर का जन्मस्थान अब युगतीर्थ बन चुका है । जहाँ संवत १९६८ आश्विन कृष्ण त्र्योदशी बुधवार (२ सितम्बर १९११) को उनका प्राकटय हुआ । यहीं की धूल में खेले, बड़े हुए । यहीं 15 वर्ष की किशोर अवस्था (वसंत पंचमी-सन् १९२६) में हिमालयस्थ ऋषिसत्ता-गुरुसत्ता का साक्षात्कार हुआ । इसी के साथ प्रारंभ हो गया २४-२४ लक्ष के महापुरश्चरण का सिलसिला । यहीं वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के रूप उभरे तथा श्रीराम मत्त (मस्त) या मत्त जी के नाम से प्रसिद्ध हुए । उनके द्वारा खोदा कुआँ और लगाया गया नीम का पेड़ आज भी स्मृतियाँ ताजा करते हैं । 

यहीं से उनकी सेवा-साधना प्रारंभ हुई । शिक्षा एवं ग्रामीण स्वावलम्बन की कई गतिविधियाँ चलाईं । विरासत में मिली प्रचुर भू-सम्पदा का उपयोग अपने और अपने परिवार के लिये नहीं किया । एक भाग से अपनी माताजी की स्मृति में दान कुँवरि इण्टर कॉलेज की स्थापना कराई, शेष राशि बाद में गायत्री तपोभूमि हेतु समर्पित कर दी । 

सन् १९७९-८० में गायत्री शक्तिपीठ एवं राजकीय कन्या इण्टर कॉलेज का शुभारंभ हुआ, जो आज कन्या महाविद्यालय (डिग्री कॉलेज) बन चुका है । सन् १९९५ में प्रथम पूर्णाहुति समारोह भी यहाँ सम्पन्न हुआ, जिसमें लगभग पचास लाख लोगों ने भाग लिया । माता भगवती देवी शर्मा राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय की स्थापना भी हो चुकी है, इस अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री ने एक कीर्ति स्तम्भ का लोकार्पण किया । आँवलखेड़ा आगरा से लगभग २४ किलोमीटर जलेसर रोड पर स्थित है और पुराने बिजलीघर से बसें उपलब्ध रहती हैं । वहाँ पहुँचकर देश-विदेश के भावनाशील साधकगण उसी प्रकार भाव विभोर हो उठते हैं, जैसे चैतन्य महाप्रभु वृन्दावन में पहुँचकर आनंदित हुए थे ।

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