गुरुवार, 5 अगस्त 2010

लिंकन की नम्रता

अमेरीका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन एक बार अपने मित्र की घोडाबग्गी में बैठकर घूमने निकले। अभी कुछ दूर निकले ही थे कि मार्ग में एक श्रमिक ने उन्हें झुककर प्रणाम किया।

प्रत्युतर मे लिंकन ने उससे भी अधिक झुककर प्रणाम किया। लिंकन को ऐसा करते देख उनके मित्र ने पूछा, आपने उस श्रमिक को इतना झुककर प्रणाम क्यो किया?

तब लिंकन ने कहा कि मै अपने से अधिक नम्र किसी को नही देख सकता।



2 टिप्‍पणियां:

Bhavesh (भावेश ) ने कहा…

बहुत प्रेरणादायक प्रसंग. वैसे हमारे देश में भी कमोबश यही हाल है, बस केवल दिशा गलत है. हमारे यहाँ सरकार, नेता और सरकारी अफसर बिना बोले ये ही कहते है कि मैं अपने से बड़ा भ्रष्ट और गुंडा किसी को नहीं देख सकता.

राजेंद्र माहेश्वरी ने कहा…

Bhavesh g
vandematram

aapki tippani satya h per abhi pariwartan ki wela h. disha bhi sahi ho jayegi.

Thanks

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