शनिवार, 31 जुलाई 2010

टुटा हुआ घड़ा

एक भिश्ती था। उसके पास दो घडे थे। उन घडों को उसने एक लम्बे डंडे के दो किनारों से बांधा हुआ था। एक घडा तों मजबूत और सुन्दर था , परन्तु दूसरे घडे में दरार थी।

भिश्ती हर सुबह नदी तट पर जा कर दोनों घडों में पानी भरता और फिर शुरू होता उसका लम्बा सफर। मालिक के घर तक जब तक वह वहां पहुंचता टूटे हुए घडे में से आधा पानी रास्ते में ही बह चुका होता जबकि अच्छे घडे में पूरा पानी होता। दरार वाला घड़ा उदास और दुखी रहता क्योंकि वह अधूरा था। उसे अपनी कमी का एहसास था। वह जानता था कि जितना काम उसे करना चाहिये वह उससे आधा ही कर पाता है।

एक दिन टूटा हुआ घडा अपनी नाकामयाबी को और सहन नहीं कर पाया और वह भिश्ती से बोला ''मुझे अपने पर शर्म आती है मै अधूरा हूं। मैं आपसे क्षमा मांगना चाहता हूं।'' भिश्ती ने उससे पूछा ''तुम्हें किस बात की शर्म है।'' ''आप इतनी मेहनत से पानी लाते है और मै उसे पूरा नहीं रोक पाता आधा रास्ते में ही गिर जाता है । मेरी कमी के कारण मालिक को आप पूरा पानी नहीं दे पाते'' दरार वाला घडा बोला।

भिश्ती को टूटे हुए घडे पर बहुत तरस आया। उसने प्यार से टूटे हुए घडे से कहा ''आज जब हम पानी लेकर वापस आयेंगे तब तुम रास्ते में खुबसूरत फूलों को ध्यान से देखना। चढते सूरज की रोशनी में यह फूल कितने अच्छे लगते है।''और उस दिन टूटे हुए घडे ने देखा कि सारे रास्ते के किनारे बहुत ही सुन्दर रंगबिरंगे फूल खिले हुए थे।

उन लाल नीले पीले फूलों को देख कर उसका दुखी मन कुछ समय के लिये अपना दुख भूल गया। परन्तु मालिक के घर पहुंचते ही वह फिर उदास हो गया। उसे बुरा लगा कि फिर इतना पानी टपक गया था। नम्रतापूर्वक टूटे हुए घडे ने फिर भिश्ती से माफी मांगी।

तब वह भिश्ती टूटे हुए घडे से बोला ''क्या तुमने ध्यान दिया कि रास्ते में वह सुन्दर फूल केवल तुम्हारी तरफ वाले रास्ते पर ही खिले हुए थे। मैने फूलों के बीज केवल तुम्हारी तरफ ही बोये थे और हर सुबह जब हम इस रास्ते से गुजरते तो इन पौधों को तुम्हारे टपकते हुए घडे से पानी मिल जाता था । वर्ना में इन्हें कहाँ पानी देता था ? पिछले दो सालों से यही फूल मालिक के घर की शोभा बढाते हैं। तुम जैसे भी हो बहुत काम के हो अगर तुम न होते तो मालिक का घर इन सुन्दर फूलों से सुसज्जित न होता।'' 

ईश्वर ने हम सब में कुछ कमियां दी है। हम सब उस टूटे, अधूरे घडे ज़ैसे हैं पर हम चाहें तो हम इन कमजोरियों पर काबू पा सकते हैं।उन कमजोरियों के बावजूद हम अपने चारों तरफ खूबसूरती फैला सकते हैं खुशियां बांट सकते हैं, अपनी कमी में ही अपनी मजबूती ढूंढ सकते हैं।


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