रविवार, 31 मई 2009

सत्यनिष्ठा

जिज्ञासु की पहली पात्रता है- सत्यनिष्ठा । सत्यकाम अज्ञात कुल के थे, पर सुशील थे। वे महर्षि गौतम के पास ब्रह्मज्ञान ज्ञान हेतु पहुँचे । सत्यकाम ने कुल-गौत्र का नाम पूछे जाने पर यही कहा कि मेरी माँ यौवनवस्था में निराश्रित थी । कई गृहस्थों के यहाँ काम किया । मेरी उत्पति किससे हुई , मुझे नहीं मालुम । मेरा नाम सत्यकाम है, माँ का जाबाला । महर्षि ने सत्यकाम को जाबाल नाम देकर , ब्रह्माविद्या में ऐसे साधक को दीक्षित कर, नया इतिहास रचा ।

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