बुधवार, 23 दिसंबर 2009

राजनीति में भी सच्चाई

एक दिन ब्रजमोहन व्यास ने मदनमोहन मालवीय से राजनीति के संबंध में कहा कि, महाकवि माघ ने तो अपने एक ही छंद में राजनीति की व्याख्या कर दी हैं। उस छंद में उन्होंने कहा हैं कि अपना उदय और शत्रु का विनाश ही केवल राजनीति हैं। मालवीय जी की मुस्कान घृणा में बदल गई। बोले-छि: ! यह तो टुच्ची राजनीति हैं, सच्ची श्लाघनीय राजनीति तो वह हैं, जिसमें अपने साथ-साथ दूसरों का भी अभ्यूदय होता है।´´

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