रविवार, 20 सितंबर 2009

सुकरात

सुकरात पर नवयुवकों को गलत शिक्षा देकर भ्रमित करने का मुकदमा चला । उन्होने न्यायालय में ही सबको खरी-खोटी सुनाई । एथेंस के कुछ संभ्रांत नागरिक, जो सुकरात की सहायता से परिचित थे। उनके पास आए और बोले- ``आपके विषय में बात कर ली है। आप युवको को उपदेश देना बंद कर दे तो मृत्यु दंड टल जायेगा। ´´ सुकरात ने उत्तर दिया-``इस बात को मान लेना मेरी दृष्टि से भगवान का अपमान है। अगर मे शील-सदाचार के विषय में चर्चा नहीं कर सकता और आत्मान्वेषण बंद कर देता हूँ तो मेरा जीवन जीना निरर्थक है। उससे विष का प्याला पी लेना ज्यादा श्रेयस्कर है। ´´

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