मंगलवार, 11 अगस्त 2009

`भारतमाता की जय´

18 वर्ष के तरूण स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी हेमू कलानी पर राष्ट्रद्रोह का आरोप लगा। मुकदमा चला। अँगरेज न्यायाधीश के हर प्रश्न का उसने निर्भीक होकर जवाब दिया । सैनिक मुख्यालय हैदराबाद (सिंध) के कमांडर ने आजीवन करावास की सजा को फाँसी में बदल दिया। फैसला सुनाने से दंड मिलने तक उसका वजन लगभग 8 पौंड बढ़ गया था । 21 जनवरी, 1943 को उसे फाँसी पर चढा़या जाना था। `भारतमाता की जय´-`इंकलाब जिंदाबाद´ का नारा लगाता हेमू फाँसी पर चल पड़ा । जब उससे अंतिम इच्छा पूछी गई और पूरी की जाने का आश्वासन मिल गया तो वचनबद्ध जिला मजिस्ट्रेट (ब्रिटिश) को भी `भारतमाता की जय´ बोलनी पड़ी । यह है क्रांतिकारी जज्बा।

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