बुधवार, 24 जून 2009

जीवन

1) धैर्य और संतोष जीवन-नौका के वह पतवार हैं जो उसे मंजिल तक ले जाते है।
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2) यदि हमारे जीवन में सच्चाई हैं तो उसका असर अपने-आप लोगो पर पड़ेगा।
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3) यदि आस्तिकता कभी जीवन में फलित होगी तो व्यक्ति कर्तव्य पालन को सबसे पहले महत्व देगा।
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4) यहॉ वरिष्ठता की एक ही कसौटी हैं- विनम्रता, स्वयं पर अंकुश व कर्मनिष्ठ जीवनचर्या।
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5) यज्ञ हमारा तभी सफल, जब जन जीवन बने बिमल।
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6) कर्मकाण्ड और पूजा पाठ की श्रेणी में साधक तभी आता हैं, जब उसका जीवन क्रम उत्कृष्टता की दिशा में क्रमबद्ध रीति से अग्रसर हो रहा हो और क्रिया कलाप में उस रीति-नीति का समावेश हो जो आत्मवादी के साथ आवश्यक रुप से जुडे रहते है।
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7) कायर अपने जीवन काल में ही अनेक बार मरते हैं, वीर लोग केवल एक बार ही मरते है।
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8) महान् व्यक्तियों के लिऐ सम्मान और गौरव जीवन से कहीं अधिक मूल्यवान होता है।
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9) मानव जीवन का मन्थन करने पर जो अमृत निकलता हैं, उसका नाम आत्म गौरव है।
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10) मानव जीवन का परम पुरुषार्थ हैं-अपनी निकृष्ट मानसिकता से त्राण पायें।
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11) मनुष्य बुद्धिमानी का गर्व करता हैं, पर किस काम की वह बुद्धिमानी, जिससे जीवन की साधारण कला, हंस खेल कर जीने की प्रक्रिया भी हाथ न आये।
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12) मनुष्य जीवन का लक्ष्य ईश सत्ता में प्रवेश करना है।
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13) मनुष्य जीवन के समय को अमूल्य और क्षणिक समझ कर उत्तम से उत्तम काम में व्यतीत करना चाहिये। एक क्षण भी व्यर्थ नहीं बिताना चाहिये।

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14) मनुष्य के सारे मोक्ष-प्राप्ति के साधन बेकार ही सिद्ध होंगे, यदि उसने जीवन में सद्गुणों का विकास नहीं किया।
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15) किसी सद्उद्धेश्य के लिये जीवन भर कठिनाइयों से जूझते रहना ही महापुरुष होना है।

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16) किसी आदर्श के लिये हंसते-हंसते जीवन का उत्सर्ग कर देना सबसे बडी बहादुरी है।
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17) किवदंतिया वे ही बनते हैं, जो जीवन के प्रत्येक क्षण से सीखने की क्षमता रखते है।
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18) विषमताओं का यदि समुचित सदुपयोग किया जा सके तो जीवात्मा पर चढें हुए जन्म-जन्मांतर के कषाय-कल्मष धुलते है। प्रवृतियॉं का परिष्कार होता हैं - आंतरिक शक्तियों में निखार आता हैं । इसलिए जीवन में विषम क्षणों के उपस्थित होने पर इनसे घबराने की बजाय इनके सदुपयोग की कला सीखनी चाहिए।
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19) विश्वास जीवन हैं, संशय मौत है।
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20) चिन्ताओं से दूर भाग्यशाली ही इस जीवन का आनन्द ले सकता है।
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21) चिन्तन बहुतों ने सिखाया हैं, पर ऐसे बहुत कम मिले, जो चिन्तन को जीवन में उतारना सिखा पाते।
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22) जिसकी दिनचर्या अस्त-व्यस्त हैं वह अपने जीवन में भी भूला-भटका रहता है।
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23) निरुद्धेश्य जीवन काट डालना लज्जा एवं कलंक भरी बात है।
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24) नियमित और संयमित जीवन, हमको देता हैं चिरयोवन।

1 टिप्पणी:

ओम आर्य ने कहा…

jeewan ke liye uttam wichar........bahut sundar

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