गुरुवार, 11 जून 2009

ब्रह्म दर्शन

ब्रह्म दर्शन से मनुष्य चुप हो जाता है। जब तक दर्शन न हों तभी तक विचार होता है । घी जब तक पक न जाए, तभी तक आवाज करता है । पके घी से शब्द नहीं निकलता, पर पके घी में कच्ची पूरी छोड़ते ही फिर वैसा ही शब्द निकलता है । जब कच्ची पूरी को पका डाला, तब चुप हो जाती है। वैसे ही समाधिस्थपुरुश लोक-शिक्षण हेतु नीचे उतरता है, फिर बोलता है ।

-श्री रामकृष्ण परमहंस

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin