गुरुवार, 28 मई 2009

साहित्य सम्राट प्रेमचंद जी

प्रेमचंद जी को साहित्य सम्राट बनाने का श्रेय उनकी माँ को ही जाता है । लोक-जीवन से जुड़े, उनकी माँ के किस्से कहानियाँ कितने लंबे हाते थे कि सुनते-सुनाते खत्म ही नहीं होते । बहुत प्रखर बुद्धि और कई भाषाओं की जानकार थीं वे। पढ तो सब लेती थीं, पर एक भी अक्षर लिख नही पाती थी । प्रेमचद जी की कहानियाँ-उपन्यासों में जो सहज पात्र, स्वाभाविक घटनाक्रम, आदर्शोन्मुखी और भारतीय जनजीवन का सजीव चित्रांकन हुआ है, बहुत कुछ उनकी माता की ही देन था। वे अपनी कहानियों से श्रोताओं को इस तरह बाँधे रखती थी कि वे तन्मय होकर रह जाते । प्रेमचंद जी ने अपनी माँ से कथा-कहानियाँ, लोक-जीवन के चरित्रों के बारे मे सुनकर अपने आप को गढा, तभी वे एक विशिष्ट व्यक्ति बन सके । माँ ने बेटे को बनाया, ऐसे उदाहरणो से हमारा इतिहास भरा पडा है।

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