बुधवार, 27 मई 2009

बालगंगाधर तिलक

बालगंगाधर तिलक ने जब बी.ए.एल.एल.बी. की परीक्षा पास की तो उनके मित्र यही आशा कर रहे थे कि वे एक सफल वकील बन कर खूब पैसा कमाएँगे, पर उनने अपनी सभी सेवाएँ `न्यू इंग्लिश स्कूल´ एवं फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना हेतु दे दीं । इन्ही संथाओं से पढकर निकलने वालों ने महाराष्ट्र में जनजाग्रति की योजनाओ का प्रचार-प्रसार किया । लोकमान्य तिलक ने दो राष्ट्रीय त्योहारो का प्रचलन किया। एक था- गणपति उत्सव और दूसरा- शिवाजी जयंती । तिलक ने बंगाल की दुर्गा पूजा की तरह गणपति को एक सप्ताह तक पूजने तथा साथ ही साथ राष्ट्रीय महत्व के अनेकानेक कार्यक्रम सम्मिलित कर, उसे लोक-शिक्षण का माध्यम बना दिया । शिवाजी जयंती को उनने राष्ट्रीयता के विस्तार का प्रतीक बताया । इस उत्सवों से व्यापक जनजाग्रति फैली । ` केशरी ´ के उनके संपादकीय एवं राष्ट्रभक्ति-भावना के विस्तार से बौखलाकर ब्रिटिश सरकार ने, उन पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया और छह साल के देश निकाले का दंड दिया । वर्मा की मांडले जेल में उन्हें रखा गया । छह साल में उनने जेल में रहकर श्रीगीता का सुंदर भाष्य लिखकर रख लिया । `गीता रहस्य´ नामक इस ग्रंथ ने लाखो सत्याग्रही, देशभक्तो को प्ररेणा दी। ``स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहूँगा´´ की घोषणा करने वाले तिलक वस्तुत: आजादी की नींव के पत्थर बने।

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