रविवार, 14 सितंबर 2008

जिसने आज दिया वही कल देगा।

जिसने आज दिया वही कल देगा। जिसने आज दिया हैं , वह कल भी देगा। वह कल भी देगा- वह कौन है ? परमात्मा ? नहीं, तुम्हारा पुण्य है। इस संसार में जो भी सुख-सुविधा मिलती है वह सब पुण्य से ही मिलती है। पुण्य ही दिलाता हैं और पुण्य ही जिलाता हैं संसार में अगर कोई मॉं-बाप हैं तो पुण्य ही हैं। वही हमारा पालनहार है। इसलिए अपने जीवन में पुण्य का संचय करते रहो। जहॉ से भी मिले पुण्य लूटते रहो। पुण्य का खजाना खाली न होने पाये। इस बात का विशेष ख्याल रखना। पूरे दिन में कम से कम दो पुण्य काम जरुर करो। पाप तो दिनभर में सेकडो हो जाते हैं, पर पूरे दिन में कम से कम दो पुण्य जरुर करो। इससे हमारा ना सिर्फ यह जीवन सम्भलेगा अपितु इसके बाद का जीवन भी सम्भल जायेगा। यह जीवन का महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं जिसे जीकर हम जीवन को सार्थकता दे सकते है।

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