शनिवार, 13 सितंबर 2008

कड़ी

कड़ी जो जोड़ती है-
कर्तव्य को अधिकार से,
वाणी को व्यवहार से,
सादगी को श्रृंगार से,
नफ़रत को प्यार से ।

कड़ी जो जोड़ती है -
अमीर को फ़कीर से,
आत्मा को शरीर से,
प्रसन्नता को पीर से,
जोशीलेपन को धीर से |

कड़ी जो जोड़ती है-
संस्कृति को सभ्यता से,
बड़प्पन को महानता से,
भौतिकता को नैतिकता से,
आदर्शवाद को व्यावहारिकता से ।

कड़ी जो जोड़ती है-
फ़ैशन को शालीनता से,
पुरातन को नवीनता से,
अहंकार को हीनता से,
सरलता को गंभीरता से ।

कड़ी जो जोड़ती है-
दिल को दिमाग से,
पानी को आग से,
मनोरंजन को वैराग से |

कड़ी जो जोड़ती है-
अध्यात्म को विज्ञान से,
श्वाँस को प्राण से,
अस्थिरता को विराम से ।

कड़ी जो जोड़ती है-
जवानी को बुढ़ापे से,
आँगन को अहाते से ।

कड़ी जो जोड़ती है-
पूरब को पश्चिम से,
आदि को अंतिम से ।

कड़ी जो जोड़ती है-
तुच्छ को महान से,
इंसान को भगवान से,
इंसान को इंसान से ।

वो कड़ी कहीं खो गयी है शायद ।
क्या हममें है वो लचक,
कि हम बन सकें वो कड़ी ?

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin