रविवार, 21 सितंबर 2008

संगति

अजामिल अपनी दुष्टता एवं दुराचार के लिए विख्यात हुआ, पर आरंभ में वह एक सदाचारी ब्राह्मण था। किसी कारणवश विदेश गया तो वह कुलटा स्त्रियों और दुरात्मा लोगों की संगति में पड़ गया। कुसंग बड़े बड़ो का पतन कर देता हैं। बुरों का सुधरना कठिन हैं, पर अच्छों का बिगड़ जाना सरल हैं। कुसंग से अजामिल इतना पतित हुआ कि कसाई तक का काम करने लगा। कथा है कि वह पीछे सत्संग से सुधरा और भगवद्भक्त बना। कुसंग-सत्संग का मनुष्य पर भारी प्रभाव पड़ता है। इसलिऐ कुसंग से बचने और सत्संग खोजने का प्रयत्न करना चाहिए।

1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

्प्रेरक कथा।बहुत सुन्दर!

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