गुरुवार, 18 सितंबर 2008

बचत

मधुमक्खी और तितली एक ही पेड़ पर रहती थीं। अक्सर वाटिका में फूलों के पास भी मिल जातीं। एक-दूसरे की कुशल पूछतीं और अपने काम पर लग जाती।

बरसात आ गई। लगातार झड़ी लगी थी। तितली उदास बैठी थी। मधुमक्खी ने पूछा, बहन क्या बात है ? ऐसे सुन्दर मौसम में उदासी कैसी ?

तितली बोली, मौसम की सुन्दरता से पेट की भूख अधिक प्रभावित कर रही है। कहीं भोजन लेने जा नहीं सकती, इसीलिए परेशान हूँ ।

मधुमक्खी बोली, बहन, ऐसे समय के लिए कुछ बचत क्यों नहीं की ? कल की बात न सोचने वाले यों ही परेशान होते है। ऐसा समझाकर मधुमक्खी ने अपने संचित कोष में से तितली की भी भूख शांत की।

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