मंगलवार, 16 सितंबर 2008

हिम्मता मर्दे मददे खुदा

एक टिटहरी अपनी चोंच में मिट्टी भरती और समुद्र में डाल आती। उसका यह अनवरत श्रम देखकर महर्षि अगस्त्य को आश्चर्य हुआ। उन्होंने उससे इसका कारण पूछा, तो वह बोली-महाराज ! समुद्र मेरे अण्डों को बहा ले गया है। उसको सुखाने के लिए समुद्र में रेत डाल रही हूं। महर्षि अगस्त्य उस छोटे से पक्षी के प्रयत्न और साहस पर प्रसन्न होकर उसकी सहायता के लिए तत्पर हो गए । उन्होंने सारे समुद्र को अंजलि में भरकर पी लिया और टिटहरी को अपने अण्डे वापस मिल गए। 
ठीक ही कहा गया है कि साहसी की सहायता दूसरे लोग भी करते हैं।
----------------

कोई टिप्पणी नहीं:

LinkWithin

Blog Widget by LinkWithin